Poem on Hindi Diwas कविता 1
गूंजी हिन्दी विश्व में,
सपने साकार हुए;
संयुक्त राष्ट्र के मंच से,
हिंदी की प्रशंसा हुई;
हिंदी की प्रशंसा हुई,
हिंदी में ही घोषित की;
मातृभाषा के प्रति प्रेम देखें,
दुनिया ने स्थिति समझी;
कहते हैं कैदी कविराय,
विदेशी का जादू टूटा;
मां भारत, धन्य हैं हम,
स्नेह की गंगा बह गई!
Poem on Hindi Diwas कविता 2
Poem on Hindi Diwas कविता 3
विश्व भाषा बनने की ओर बढ़ी जो,
अपने घर में कुशली,
सिंहासन पर अंग्रेजी राज,
हंसती दुनिया बनी विलासी,
हंसती दुनिया बनी विलासी,
हिन्दी बनी अब मुक्त दासी,
अफसर सब, अंग्रेजी का भ्रम,
अवधी या मद्रासी छोड़ दें अपनाम।
कहते हैं कविराय जेल से,
चिंता विश्व की छोड़ जाओ,
पहले घर में,
अंग्रेजी के गढ़ को तोड़ो!
Poem on Hindi Diwas कविता 4
हम सभी की प्रिय, सबसे प्रेरणास्पद।
कश्मीर से कन्याकुमारी, राष्ट्रभाषा हमारी।
साहित्य की खानपान,
सरल और सूझ-बूझ में है भरपूर।
अंग्रेजी के साथ टकरार,
सम्मान का अधिकार यह बताती हमारी।
जन-जन की पसंद, दुलारी हमारी,
हिन्दी ही हमारी पहचान।
Poem on Hindi Diwas कविता 5
पियूष के शिर पर धारा गिरती जाती है, बनता रुचिर ज्योति मय तारा।
हृदय में उत्सव लहर बिनोद की, उच्छास लहराती सदा बार-बारा।
नसों में दौड़ती है बिजली की छमक, सबको आती है वो ऊर्जा का आकर्षण।
आते ही मुख पर आनंदित होती है उसकी आवाज, उसका पावन नाम होता सबके मनों का आदरणीय।
इक्कीस कोटि जन उसको पूजते हैं, हिन्दी भाषा है वो अद्वितीय।
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